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क्या है यह स्लट-वॉक ??? (What Is This Slut-walk?)


इन दिनों स्लट-वॉक की बडी चर्चा हो रही है. दर असल स्लट-वॉक पश्चिमी सभ्यता का एक नंगा नाच है जिसे हिन्दुस्तान में आयातित किया जा रहा है. यह 3 अप्रेल 2011 को कनाडा से चालू हुआ था जहां प्रथम स्लट-वॉक में  काफी सारी जवान स्त्रियों ने एक दम अर्धनग्न वस्त्रों में स्त्रियों के यौनिक शोषण का विरोध किया था.
धन की जरूरत पडने पर कई पश्चिमी देशों में स्त्रियां अपन कौमार्य नीलाम करके बेचती हैं. ऎसे समाज में यदि वे अर्धनग्न भीड के रूप में सडक पर उतर आयें तो इसमें कोई ताज्जुब नहीं है. लेकिन हिन्दुस्तान जैसे धार्मिक एवं मर्यादा-नियंत्रित देश में इस तरह के प्रदर्शन एकदम गलत है. स्त्री-स्वंतंत्रता का मतलब लैंगिक अराजकता नहीं है.
स्लट का चालू अनुवाद है छिनाल या रांड किस्म की औरत. अत: स्लट-वॉक का अनुवाद होगा छिनाल प्रदर्शन या रांड-परेड.  सवाल है कि हिन्दुस्तान में इस प्रकार के अनैतिक परेड की जरूरत है क्या. मेरे हिसाब से अश्लील प्रदर्शन के कानून का प्रयोग कर इस तरह की लैंगिक अराजकता को रोकना जरूरी है.

क्या भिखारी भी मानव हैं ?? (Are Beggars Also Human??)


मेरे घर के पास हाईवे पर एक बहुत ही व्यस्त चौराहा है जहां हरीबत्ती के लिये अकसर 3 मिनिट रुकना पडता है. वहां एक स्थाई भिखारिन है जिसको मैं पिछले दस साल से पैसा देता आया हूँ. मुझे देखते ही उसकी बांछें ऎसी खिल जाती हैं जैसे कि मुझ से भीख पाना उसका जन्मसिद्ध हक है. चूंकि मेरे दादाजी हमेशा कहते थे कि महीने भर मिलने वाले हर भिखारी को भीख दो बेटा, तो भी वह किसी अच्छे हाटल में एक खाने के पैसे से कम ही बैठेगा अत्: मैं भिखारियों को निराश नहीं करता.

आज किसी कारण से चौराहे पर यातायात एकदम ठप्प था और मामला साफ था कि 3 मिनिट का आज 10 मिनिट हो जायगा. मैं ने डेशबोर्ड पर से 2 रुपये का सिक्का हाथ लिया ही था की वह भिखारिन आ गई. उसे भी मालूम था कि आज मेरी गाडी 3 मिनिट से अधिक रुकेगी. अत: भीख छोड कर वह गाडी के बगल में आ खडी हुई और मेरे परिवार के बारे में पूछने लगी. वह होगी यही 40 से 50 के आसपास की. जब मैं ने अपने विवाहित बेटेबेटी और पत्नी आदि के बारें में कहा तो वह बोली कि दस साल से वह मेरी गाडी में उनको देखती आई है और ईश्वर से प्रार्थना करती आई है कि इस “अच्छे साहब” को ईश्वर का अनुग्रह मिले. वह जानना चाहती थी कि एक साल से वे मेरे साथ क्यों नहीं दिखते.  आज उसने पैसा नहीं लिया बल्कि अपनी बात कह कर झुक कर प्रणाम किया और अगली गाडी की ओर हाथ बढा कर चली गई.

क्या भिखारी भी मानव हैं? क्या हमारी एक मुस्कान उन में से किसी एक को जीने की आशा दे सकती है?

बोलो तो मुसीबत, चुप रहो तो मुसीबत!!


रवीन्द्र प्रभात एक सुलझे हुए चिट्ठाकार हैं जिनके आलेख मैं उनकी चिट्ठाकारी के आरंभ से ही पढता आया हूँ.  उनके कई आलेख बहुत ही विचारोत्तेजक रहे हैं एवं उन आलेखों पर टिप्पणी करते समय मैं ने इस बात का उल्लेख भी किया है. हिन्दी चिट्ठाजगत के लिये कुछ करने की इच्छा के कारण उन्होंने “परिकल्पना ब्लागोत्सव” का आयोजन  आरंभ किया था.  इसके के कारण चिट्ठाकारी और चिट्ठाकारों को काफी प्रोत्साहन मिला था.
जब हम पडोसी के लिये कुछ करते हैं तो हम को भी फल मिलता है. यह प्रकृति का नियम है. इस कारण इन ब्लॉगोत्सवों द्वारा रवीन्द्र काफी लोगों की नजर में आये, काफी नाम मिला, प्रशंसा मिली. इसमें किसी को कोई एतराज नहीं होना चाहिये. यह उनके सत्करर्म, उनकी सेवा, का स्वाभाविक फल है. हम सब की कोशिश यह होनी चाहिये कि उनके समर्पण एवं उनकी मेहनत को प्रोत्साहित करें.
मेरे बेटे की मोटरसाईकिल-बस दुर्घटना के कारण मैं  छ: महीने चिट्ठाजगत के बाहर रहा था. कल जब वापस आया तो देखा कि कई लोग जम कर  ब्लॉगोत्सव की आलोचना कर रहे हैं. कारण वही हमेशा वाला प्रश्न है: फलां फलां व्यक्ति/व्यक्तियों को क्यों नाम/इनाम/प्रतिफल मिल रहा है. रवीन्द्र की जम कर खिचाई हो रही है. अरे रवीन्द्र भाई, आप को लग रहा होगा कि बोलो तो मुसीबत, चुप रहो तो मुसीबत!!. सही है. लेकिन आप तो लगे रहें. पत्थर तो उसी पेड पर फेंके जाते हैं जिस पर फल लदे हों. अत्: मेरा सुझाव है कि कर्म करते रहें, फल बांटते रहें! कुछ फल उनको भी दे देना जिन्होंने पत्थर फेंके हैं. आखिरकार पत्थर फेंकने के लिये भी तो मेहनत लगती है!!
बस मैदान में डटे रहें!

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तनाव मुक्त होने के लिए शीर्ष 10 युक्तियाँ

1. क्या लगता है कि दूसरों के बारे में देखभाल दे. क्या आप के लिए सही है और इसके बारे में अच्छा महसूस हो रहा है.

2. व्यायाम! आपके शरीर की मांसपेशियों को और उन एंडोर्फिन रिलीज! आपके शरीर में अधिक रहते हैं अपने दिन दिन का अनुभव करने के लिए गहरा है और तेजी से अपने जीवन की गुणवत्ता और अच्छी तरह से किया जा रहा है की अपनी भावना में वृद्धि होगी.

3. मज़ा लो! मत भूलना नहीं कैसे अद्भुत यह हँसते हैं लगता है. क्या कभी आप कर रहे हैं के साथ मज़े.

4. समुदाय. चलो दूसरों आपको आपको क्या कर रहे हैं में शामिल होने. जब हम अवधारणा है कि से एक साथ रहते हैं "हम यह सब कर रहे हैं" हम एक साझा मानवता से रहते हैं. यह की भावना पैदा
सौहार्द और समुदाय है, जो हमें दिन जीवन के लिए दिन के तनाव से buffers.

5. तो व्यक्तिगत रूप से सब कुछ ले नहीं. दूसरों के लिए निष्पक्ष सुनो, यह हमेशा आपको के बारे में नहीं है!

6. अलग अलग दृष्टिकोण को सुनो. यह अपने दृष्टिकोण है जो अधिक से अधिक समझ और करुणा की भावना बढ़ाने के लिए होता है enlarges.

7. अपने आप को डिलाईट. अपने आप को चारों ओर के साथ जो कुछ भी यह है कि आप प्रसन्न हैं. सौंदर्य के साथ अपने आप को चारों ओर, संगीत के साथ, गति, रंग, या ध्वनियों के साथ. अपने होश लाड़ प्यार करने के लिए एक तनाव मुक्त वातावरण बनाने के लिए.

8. अंतरिक्ष बनाएँ. परियोजनाओं या जिम्मेदारी है कि सीधे अपने मूल्यों या लक्ष्य से कनेक्ट नहीं है पर मत लो. बातें आपको कम महत्वपूर्ण बातों को बाहर रखने के द्वारा अपने जीवन में और अधिक चाहते हैं के लिए अंतरिक्ष बनाएँ.

9. कनेक्शन. कनेक्शन संबंध है कि हमें एक दूसरे के लिए बाध्य कर रहे हैं. अपने जीवन में कनेक्शन की सराहना करते हैं और क्या कभी इसे बनाने के लिए और उन्हें और भी गहरा होना लेता है. (यह अपने आप के साथ संबंध भी शामिल है.)

10. खेल से पहले व्यापार. व्यापार का ख्याल रखना ताकि आप आराम कर सकते हैं और अपने मित्रों और परिवार के साथ खेल सकते हैं. अगर आप व्यापार की देखभाल नहीं करते हैं, यह कठिन हो करने के लिए अपने आप को जीवन खुशी के लिए दे देंगे.